धिक्कार है...धिक्कार है...66 साल की आजादी...दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र...संविधान में समता का अध्याय....और समाजवाद का संशोधन....विदर्भ का जिक्र आते ही सवालों में घिर...
ये सियासत हैं...सौ टका खालिस सियासत...जिसमें शिकार कोई भी हो सकता है...अपने पराए होते हैं...बदलते वक्त के साथ समीकरण बदलते हैं...जरुरतें बदलती हैं...और बदलती...
ये सियासत हैं...सौ टका खालिस सियासत...जिसमें शिकार कोई भी हो सकता है...अपने पराए होते हैं...बदलते वक्त के साथ समीकरण बदलते हैं...जरुरतें बदलती हैं...और बदलती...
ये सियासत हैं...सौ टका खालिस सियासत...जिसमें शिकार कोई भी हो सकता है...अपने पराए होते हैं...बदलते वक्त के साथ समीकरण बदलते हैं...जरुरतें बदलती हैं...और बदलती...
धिक्कार है...धिक्कार है...66 साल की आजादी...दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र...संविधान में समता का अध्याय....और समाजवाद का संशोधन....विदर्भ का जिक्र आते ही सवालों में घिर...
इसे सियासी मजबूरी समझिए...सत्ता का समीकरण मानिए...या गठबंधनों के दौर में गठबंधन का पुराना नुस्खा कहिए...तीसरा मोर्चा दम भर रहा है..जो धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद...
ये सियासत हैं...सौ टका खालिस सियासत...जिसमें शिकार कोई भी हो सकता है...अपने पराए होते हैं...बदलते वक्त के साथ समीकरण बदलते हैं...जरुरतें बदलती हैं...और बदलती...