22 गज..22 खिलाड़ी… दो विकेट…आसमान से बरसता पैसा…ये क्रिकेट है…जो भारत की धमनियों में दौड़ता है…और इसी क्रिकेट के नाम पर वो खेल भी चलता हैं…जिसे पॉवर गेम कहते हैं…और इसी के साथ सरेआम..दम ठोंक
कर क्रिकेट और क्रिकेट की आत्मा का खून होता रहा है…फ्लड लाइट्स की चकाचौंध में खिलाड़ी बिकते रहे…. ..खेल की मर्यादा खत्म होने लगी…दर्शकों की भावनाओं का सौदा होने लगा…नैतिकता को ताक पर रखा गया…आम लोगों के खास खेल को खास लोगों ने अपना शगल बना लिया…क्रिकेट का क नहीं जानने वाले क्रिकेट के मसीहा बन गए…खेल से प्यार करने वाले हाशिए पर चले गए…चयन समितियों में अपनों को प्रमोट किया जाने लगा…हुनर का मोल नहीं रहा…काबिलियत सिसिकियां लेती रही..खिलाड़ी खेल को बिजनेस समझने लगे…ड्रेसिंग रुम में टीम मालिक सटोरियों के एजेंटों में तब्दील हो गए….शिकायतों..जांच का पाखंड चलता रहा है….आका को खुश करने के लिए क्रिकेट की सबसे बड़ी संस्था सष्टांग नमन की मुद्रा में आ गई…आका कुछ दिनों के लिए सिंहासन से हटे तो गद्दी भरत को मिल गई…मामला ठंडा क्या हुआ..फिर से राजतिलक हो गया….कुछ खिलाड़ियों को बैन किया गया….पर दामाद को क्लीन चिट दे गई..जब संस्था में ससुर सुपर पॉवर हो तो दामाद को रियायत मिलना विशेषाधिकार होता है…अब कहानी में ट्विस्ट आया है… श्रीनिवासन को वनवास हो चुका है…गावस्कर को गद्दी मिल चुकी है…सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट में सफाई का शुभारंभ किया है…और ये नौबत तब आई है जब पानी सर से गुजर गया…बेशर्मी हद पार करने लगी थी..देश का सब्र टूटने लगा था..ये महज शुरूआत है…ये एक सबक है…देखना दिलचस्प होगा कि कब खेल से राजनीति खत्म होती है…कब हुनर को मौका मिलेगा…कब धंधेबाजों से क्रिकेट का साथ छूटेगा…कब टीम मालिकों और सटोरियों में फर्क होने लगेगा…कब खेल को खेल बनाने की पहल होगी…



