मदरसे की वो दीवारें आज खुद से शर्मिंदा होंगी,मासूम बच्चों की आखें अपनी टीचर को गैरहाजिर पाकर खोज रही होंगी,जिन घरों में टीवी होगा,और जहां न्यूज चैनल चल रहे होंगे,मां-बाप उन बच्चों से उनकी टीचर की खबर को छिपाने
की कवायद करते होंगे,कस्बे के वो लोग जो उस लड़की को हिंदू होने का अहसास दिलाते थे,और मदरसे में जाकर बच्चों को पढ़ाने की कोशिश पर तंज कसा करते थे,उनके चेहरों पर आज कुटील मुस्कान होगी,मानों वो कहना चाह रहे हो,हमने तो पहले मना किया था,अब देख लो नतीजा…दीनी और तहजीब की तालीम का कहकहा सिखाने वाली मदरसे की इमारत आज जार-जार रो रही होगी,गरीब बच्चों की तालीम का इंतजाम करने वाली ये मदरसे की पूरी व्यवस्था आज खुद से सवाल कर रही होगी,अब ये ना कहिएगा कि इस पूरी घटना के पीछे एसपी,बीएसपी,बीजेपी,कांग्रेस या और किसी सियासी दल की साजिश रही होगी,ये तो बस कुछ आदमजात के इंसान ना बन पाने की तस्वीर है,जो आज मेरठ में हुआ, वो कुछ दिनों पहले लखनऊ में हुआ था,उसके पहले दिल्ली में हुआ था,बस सरकारी दस्तावेजों में नाम और शख्सियत अलग-अलग होती है पर नीयत और जेहनी शैतान एक सा होता है, अब इसे हिंदू-मुस्लिम के मसले से जोड़ भी देख लीजिए या अब ना देखने की अपील कर लीजिए, जितना नुकसान हो सकता था हो चुका है, अब गर हिंदू हो तो हिंदू होने का फर्ज अदा कीजिए,जबरन धर्म परिर्वतन के आरोप पर,मेरठ पुलिस की हीला-हवाली पर,सपा सरकार की तुष्टिकरण पर,और दंगों के आंकड़ों पर नाराजगी जाहिर करिए,और गर मुसलिम हो तो खुद के अल्पसंख्यक होने की दलील दीजिए,बीती घटनाओं मेंअपने समुदाय पर हुए अत्याचार का हवाला दीजिए,कुल मिलाकर जो जिस पक्ष का है, या जिस दलील से खुद को ज्यादा करीब पाता है, उस दलील के सहारे खुद को खुश और संतुष्ट करने की पैरवी करिए,बेहूदे तर्कों से लाउडस्पीकर के होने या ना होने को इंसानी जिंदगियों से ज्यादा जरुरी बताइये, दंगों के दौरान जले घरों और अनाथ बच्चों की फोटो के टैग करिए,टाईम लाइन में अपने समुदाय के सबसे बड़े रहनुमा बनने की कोशिश करिए,बस वो लिखिए जिससे सबसे ज्यादा लाइक मिले या जो आपको आपके ग्रुप और ज्यादा क्रांतिकारी होने का तमगा दिला दे, जो हिंदुओं का पक्ष ले उसे सांप्रदायिक घोषित करे,जो मुसलमानों की बात करें उसे देशद्रोही बताने में देर ना करे, और इसी तरह सब चलता है, सियासत को खुराक चाहिए, सदन को मुद्दा चाहिए और आपको भी खुद को साबित करने के लिए कुछ ऐसे ही मामलों का ईंधन चाहिए, जो हाजिर है,बस इस्तेमाल करिए और होते रहिए



