धिक्कार है…धि
क्कार है…66 साल की आजादी…दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र…संविधान में समता का अध्याय….और समाजवाद का संशोधन….विदर्भ का जिक्र आते ही सवालों में घिर जाता है… धिक्कार है…धिक्कार है…विदर्भ में किसान आत्महत्या कर रहे हैं…और इसके साथ ही दम तोड़ रहा है महाराष्ट्र का गौरव गान..नागपुर के छद्म राजधानी होने का भ्रम..दिल्ली के राजपथ के आस पास बनी इमारतों का सच और इन इमारतों में बैठे नेताओं के सियासी दावे और वादे…अब नागपुर का संतरा बेस्वाद हो गया है…कपास उगाने वाले किसान के पास कर्ज चुकाने को पैसे नहीं हैं…और कफन चुनना उसकी मजबूरी है.. धिक्कार है…धिक्कार है….कभी मॉनसून दगा दे जाता हैं…तो कभी नसीब….अकाल पड़ता है तो जमीन के सूखने के साथ ही टूट जाता है दो जून की रोटी का सपना…खर्च हो जाती है बेटी की शादी के लिए पाई-पाई जोड़ी गई जमा-पूंजी…और बिखर जाता है किसान…इंद्रदेव की प्रसन्न हो जाए तो भी दिक्कत ही हैं.. धिक्कार है…धिक्कार है….बिन मौसम बरसात की बूंदें और ओले सिर्फ फसलों पर नहीं गिरते…कुदरती कहर से खत्म हो जाती है एक किसान की जिंदगी जीने की तमन्ना..बच्चों की उम्मीदें…पत्नी की ख्वाहिशें..और बुजुर्गों की दवाओं का इंतजाम… धिक्कार है…धिक्कार है…और इन सबके बीच जारी है…सियासी पिकनिकों का दौर…आर्थिक पैकेजों का एलान और मुआवजे के नाम मरहम लगाने की कवायद… धिक्कार है…धिक्कार है…किसी और की बात क्या करें..पीएम का दौरा..दावा..और वादा भी विदर्भ के दर्द को कम नहीं कर पाया…युवराज भी विदर्भ के वर्धा में गांधी आश्रम में दिन गुजार चुके हैं…लेकिन किसान हाशिए पर ही रहा… धिक्कार है…धिक्कार है…अब मोदी भी किसानों का दर्द समझ रहे हैं…मोदी के लिए किसान…किसानों की मौत…भी कांग्रेस को घेरने का एक और मुद्दा है.. धिक्कार है…धिक्कार है…चुनावी है…वोटों की फसल काटनी है…विदर्भ के किसानों को आदत हो गई…अच्छा है…तकलीफ कम होती होगी…वजह साफ है विदर्भ हर पार्टी बड़े चेहरों को देख चुका हैं…सुन चुका हैं..और हालत जस के तस हैं.. धिक्कार है…धिक्कार है…



