बोलिए….बोलिए..खूब बोलिए…जमकर बोलिए….बोलना अधिकार है…मुलायम सिंह बोले..और बोलने के वक्त ये भूल गए कि वो भूल गए कि वो क्या बोल रहे हैं…..बस बोलते गए….और बोलने की जल्दबाजी में
भद्रता की सारी मर्यादा भूल गए….सिसासत की लक्ष्मण रेखा पार कर गए….नारी समाज की गरिमा को तार-तार कर गए…नेताजी लोकतंत्र का लिहाज भूल गए…. बयान मुलायम का है….लेकिन कठोर है…बेहद कठोर…और इस हद तक गैर जिम्मेदाराना भी कि यकीन नहीं होता कि ये बयान समाजवाद के सिपाही का है…चुनावी सभा में मुलायम तालियों की गड़गड़ाट के बीच शायद हड़बड़ाहट का शिकार हो गए….या कोई नया सियासी पैंतरा था…कहना मुश्किल है…लेकिन मुलायम ने रेप जैसे जघन्य वारदातों को अंजाम देने वालों की वकालत की….मुलायम ने रेप से अमानवीय और घृणित अपराध को अंजाम देने वालों से हमदर्दी जताई…और बातों ही बातों में मुलायम लिंगभेद को खाद-पानी देने वालों के लिए आईकॉन बन गए….देश की दिशा-दशा तय करने वाले नेता ही जब देश के सामाजिक ताने-बाने को उधाड़ने में लग जाए….जब कानून बनाने वाले माननीय ही अपराध और अपराधियों की पैरवी करने लग जाए….जब समाजवाद की लाल टोपी पहने नेताजी ही रेप जैसे मामलों में लड़कों को गलतियों के माफी और लड़कियों को नसीहत देने लग जाए…जब समझ लीजिए कि देश का भविष्य किन हाथों में है और कैसा होने वाला है…मुलायम के बयान पर हंगामा मचा है…जैसे पहले भी मचा है..मुद्दा शांत भी हो जाएगा..जैसे हमेशा हो ही जाता है….और मुलायम का ये बयान कोई पहला और आखरी बयान भी नहीं है….खादी पहने नेताओं ने..खाकी पहने पुलिस वालों ने….नौकरशाहों ने….पहले भी महिलाओं की अस्मिता और सम्मान पर हमला किया है…माफी तो दूर की बात है….ऐसे बयानों पर खेद भी जताया नहीं जाता….पुरूष प्रधान समाज का सच सामने आ ही जाता है…महिला वर्ग को महज वोट बैंक मानने वाले…महिलाओं को संपत्ति की देखने वाले ऐसे बयानों पर ताली भी बजाते हैं….और समर्थन भी देते है….जो शर्मनाक होने के साथ-साथ लोकतंत्र का मखौल उड़ाता है…शर्मसार है देश ऐसे बयानों पर…और शर्मिंदा है हम ऐसी सोच पर….



